जिसमें मुख्य अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष आलोक तिवारी ,कार्यक्रम के अध्यक्ष जजपाल सिंह जज्जी, मुख्य वक्ता गजेंद्र सिंह तोमर प्रदेश सह संयोजक स्टूडेंट फॉर वन नेशन वन इलेक्शन, विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष नीरज मोरिया एवं जनभागीदारी अध्यक्ष महेंद्र भारद्वाज, स्टूडेंट फॉर वन नेशन वन इलेक्शन के जिला संयोजक अभिषेक पाठक, सहसंयोजक अजय रघुवंशी एवं समस्त कॉलेज स्टाफ का रहना हुआ।
मुख्य वक्ता गजेंद्र सिंह तोमर ने कहाभारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ चुनाव जनता की संप्रभुता का प्रतीक हैं। परंतु, लगातार अलग-अलग समय पर होने वाले चुनावों से देश के विकास कार्यों में बाधा आती है, खर्च बढ़ता है और प्रशासनिक संसाधन बिखर जाते हैं। इसलिए 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी पूरे देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा चुनावों का एक साथ होना समय की मांग है।यह कदम न केवल भारत की संसाधनों की बचत करेगा, बल्कि देशवासियों को भी एक स्थिर सरकार देने में मदद करेगा, जिससे विकास की राह स्पष्ट होगी। इससे चुनाव खर्च कम होंगे और सरकारी अधिकारियों का फोकस काम पर अधिक रहेगा। जहाँ सरकारें अपनी जवाबदेही बेहतर ढंग से निभा सकेंगी, वहीं कटु चुनावी राजनीति से देश बच सकेगा, मुख्य अतिथि श्री आलोक तिवारी जी ने कहादेश के पहले चुनावों में 'वन नेशन वन इलेक्शन' का महत्व अत्यंत रहा है। भारत में संविधान लागू होने के बाद 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव सम्पन्न हुए, जहाँ लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। इससे 1967 तक यह प्रक्रिया जारी रही और चार लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी एक ही समय में आयोजित होते रहे। इससे प्रशासनिक और आर्थिक संसाधनों की बचत होती थी और सरकारें स्थिर रूप से काम कर पाती थीं।परंतु 1967 के बाद यह परंपरा टूट गई क्योंकि कुछ राज्यों की विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं। खासकर 1970 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा को समय से पहले भंग करके चुनाव करवाए गए, जिससे राज्य विधानसभा चुनावों का तालमेल टूट गया। तब से अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे, जिससे खर्च और संसाधनों का दुरुपयोग बढा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष जजपाल सिंह जज्जी सिंह ने कहाभारत में 'वन नेशन वन इलेक्शन' की वापसी की मांग लगातार उठती रही है क्योंकि इससे चुनाव खर्चों में कटौती, प्रशासनिक बोझ कम होगा और राष्ट्रीय विकास में तेजी आएगी। कई देशों में यह व्यवस्था लागू है जिससे लोकतंत्र और मजबूत होता है।आज केंद्र सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है ताकि लोकतंत्र को और प्रभावी और सरल बनाया जा सके। यह प्रणाली देश के नागरिकों को एक स्थिर सरकार और विकास की दिशा में निरंतरता प्रदान करेगी। इसलिए 'वन नेशन वन इलेक्शन' न केवल एक चुनावी सुधार है, बल्कि यह राष्ट्र की प्रगति का मार्ग भी है।
नगर पालिका अध्यक्ष नीरज मनोरिया ने कहा इस योजना के तहत, चुनाव केवल पांच वर्षों में एक बार होंगे, जिससे बार-बार चुनाव कराने की बाधा खत्म होगी। इससे प्रशासनिक संसाधनों की बचत होगी, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा, और भारत में स्थिर सरकारों की स्थापना संभव होगी।सरकार ने इस विषय में संविधान संशोधन बिल भी संसद में पेश किया है, जो इसे लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यवस्था लोकतंत्र को मजबूत बनाने और विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।