मध्‍यप्रदेश स्‍थापना दिवस 01 नवंबर 2025 की संध्‍या पर जिला मुख्‍यालय अशोकनगर के स्‍थानीय मानस भवन में आयोजित सांस्‍कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में महान संगीतकार बैजू बावरा नाट्य मंचन के माध्‍यम से स्‍थानीय चंदेरी के कलाकारों द्वारा बैजू बावरा नाटक की मनमोहक प्रस्‍तुति से सभी का मन मोह लिया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि चंदेरी विधायक श्री जगन्‍नाथ सिंह रघुवंशी ने कहा कि महान संगीतज्ञ बैजू बावरा की समाधि चंदेरी के किले पर स्‍थापित है। उन्‍होंने कहा कि बैजू बावरा की संगीत के प्रति अलोकिक क्षमता सर्वव्‍यापी है। बैजू बावरा नाटक का सजीव नाट्य मंचन करने वाले सभी स्‍थानीय कलाकार बधाई के पात्र है। कलाकारों द्वारा बैजू बावरा के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्‍तुति देकर इतिहास की पटकथा से अवगत कराया है। 
नाट्य मंच के कलाकारों का किया सम्‍मान
कार्यक्रम में चंदेरी विधायक श्री जगन्‍नाथ सिंह रघुवंशी सहित जिला पंचायत सदस्‍य श्रीमती शीला जाटव,अपर कलेक्‍टर श्री डी एन सिंह, संयुक्‍त कलेक्‍टर श्री आर.बी.सिण्‍डोस्‍कर, श्री बृजबिहारीलाल श्रीवास्‍तव, एसडीएम श्रीमती शुभ्रता त्रिपाठी, मुख्‍य नगरपालिका अधिकारी श्री विनोद उन्‍नीतान ने बैजू बावरा के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन के पश्‍चात मंच पर पहुंचकर स्‍थानीय कलाकारों का सम्‍मान किया गया । इस दौरान मुख्‍य अतिथि चंदेरी विधायक श्री जगन्‍नाथ सिंह रघुवंशी तथा जिला शिक्षा विभाग द्वारा कलाकारों को उत्‍साहवर्धन स्‍वरूप 11-11 हजार रूपए दिए जाने की घोषणा की गई।
उल्‍लेखनीय है कि बैजू बावरा नाटक के लेखक श्री नदीम खांन, निर्देशक श्री नंदकिशोर पंत,संगीत श्री पार्थो घोष तथा नाटक परिकल्‍पना एवं संयोजन डॉ.आलोक चौबे द्वारा किया गया। पर्यटन स्‍थल परियोजना के स्‍थानीय समन्‍वयक श्री रामलखन सिंह द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा रंग बावरे समिति के सदस्‍यों के साथ तैयार की गई। मध्‍यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर और पर्यटन स्‍थल चंदेरी के 40 स्‍थानीय कलाकारों द्वारा बैजू बावरा नाटक की प्रस्‍तुति दी गई।नाटक में महान संगीतज्ञ बैजू बावरा के जीवन की प्रमुख घटनाओं,उनकी महानता और उपलब्धियों को रेखांकित किया गया। इस नाटक ने दर्शकों को बैजू बावरा की संगीत साधना, उनके तप और समर्पण को देखने का अवसर दिया। साथ ही बैजू बावरा के जीवन की कठिनाईयों को भी दिखाया गया, जिनसे वह संगीत के प्रति अपनी असीम श्रद्धा और लगन के कारण उभर सके। नाटक के माध्‍यम से यह बताया गया कि किस प्रकार बैजू बावरा ने महान संगीतकार बनने की यात्रा में धैर्य,समर्पण और अथक साधना का परिचय दिया। नाट्य मंचन में बैजू बावरा के गुरू-शिष्‍य संबंध,संगीत के प्रति उनकी साधना तथा महान संगीतकार तानसेन के साथ उनके प्रतिस्‍पर्धात्‍मक मुकाबले को दिखाया गया। बैजू बावरा नाटक में उनकी संगीत रचनाओं का जीवंत प्रदर्शन, उनसे जुड़ी घटनाओं को नृत्‍य,गायन और संवादों के माध्‍यम से जीवंत किया गया। इस नाटक ने दर्शकों को भारतीय संगीत के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया । 

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