अशोकनगर में बंदोबस्त व राजस्व रिकॉर्ड पर बड़ा सवाल; किसानों को 40–50 साल से चल रही दिक्कतें फिर उठीं विधानसभा में


 
अशोकनगर जिले के भूमि बंदोबस्त और राजस्व अभिलेखों में गंभीर अनियमितताओं तथा रिकॉर्ड के अभाव को लेकर विधानसभा में बड़ा मुद्दा उठ गया है। क्षेत्रीय विधायक श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी ने दो अलग-अलग तारांकित प्रश्नों के माध्यम से सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों जिले में सात दशक पुराने बंदोबस्त को ही निर्णय का आधार बनाया जा रहा है, जबकि किसानों की जमीन दशकों से कब्जे व खसरा-खतौनी में दर्ज है।

1947 का बंदोबस्त अब भी आधार, नईसराय में संशोधन नहीं

विधायक ने सवाल उठाया कि मध्यप्रदेश की अधिकांश तहसीलों में 1947 के बाद नया बंदोबस्त और भूमि-अर्जन कराकर संशोधन किया जा चुका है, लेकिन अशोकनगर जिले—विशेषकर नईसराय तहसील—में यह कार्य आज तक शुरू नहीं हुआ।
उन्होंने पूछा कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को 75 साल बाद भी क्यों लंबित छोड़ा और क्या इसे शीघ्र शुरू करने की कोई योजना बनाई गई है।

जमींदारी उन्मूलन (1953) और भू-राजस्व संहिता (1959) के बाद भी संशोधन लंबित

प्रश्न में कहा गया है कि 1953 और 1959 में लागू हुए राजस्व कानूनों के अनुरूप बंदोबस्त का संशोधन होना चाहिए था, लेकिन अशोकनगर में आज तक अपडेट नहीं किया गया। इससे हजारों किसानों के नामांतरण, स्वामित्व, ऋण स्वीकृति और रजिस्ट्री जैसे मामलों पर असर पड़ रहा है।

रिकॉर्ड गायब—किसानों से सबूत मांगना अन्यायपूर्ण: विधायक

दूसरे प्रश्न में विधायक रघुवंशी ने दावा किया कि 1947 से 1963 के बीच की भूमि का अधिकांश रिकॉर्ड—खसरा, खतौनी और निस्तार पत्रक—जिले के प्रशासन के पास उपलब्ध ही नहीं है।
ऐसी स्थिति में किसानों से यह पूछना कि उनकी भूमि किस आधार पर निजी स्वामित्व में आई, “अन्यायपूर्ण और अवैधानिक” है।

रिकॉर्ड नहीं, फिर भी किसानों की जमीन को शासकीय बताकर विवादित किया जा रहा

उन्होंने यह भी कहा कि रिकॉर्ड न होने के बावजूद, कई किसानों की जमीन—जिस पर वे 40–50 वर्षों से कब्जा किए हुए हैं और जो राजस्व अभिलेख में दर्ज भी है—उसे प्रशासन द्वारा शासकीय बताकर विवादित किया जा रहा है।

नक्शा-विहीन ग्रामों का मामला भी उठा

विधायक ने पूछा है कि

जिले में कितने ग्राम नक्शा-विहीन हैं,

अभिलेख दुरुस्ती व विवाद रोकने के लिए सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए,

और इन ग्रामों के नए नक्शे तैयार करने की समयसीमा क्या तय की गई है।


शासकीय भूमि का आंकड़ा व निरस्त नामांतरण/रजिस्ट्री की जानकारी मांगी

पहले प्रश्न में उन्होंने तहसीलवार यह विवरण भी मांगा है कि

1947 के बंदोबस्त में कितना क्षेत्र शासकीय भूमि था,

वर्तमान में उसमें से कितना क्षेत्र निजी स्वामित्व में परिवर्तित हो चुका है,

तथा 2010 से अब तक पुराने बंदोबस्त के आधार पर कितने नामांतरण और रजिस्ट्री प्रकरण रोके या निरस्त किए गए।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने