अवैध खनन और पेड़ों की कटाई पर विधायक रघुवंशी का बड़ा सवाल — शासन की चुप्पी पर उठाए सवाल


भोपाल, 12 नवंबर 2025

मध्यप्रदेश विधानसभा के आगामी सत्र में अशोकनगर जिले के विधायक श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी ने दो गंभीर मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा है —
पहला, अशोकनगर के औद्योगिक क्षेत्र पलकटोरी में औद्योगिक इकाइयों की लीज डीड निरस्तीकरण और अवैध खनन,
दूसरा, पारसोल–राजघाट सड़क निर्माण में बिना अनुमति सैकड़ों पेड़ों की कटाई।

 औद्योगिक क्षेत्र में अवैध खनन और लीज डीड रद्दीकरण का मामला

विधायक रघुवंशी ने प्रश्न उठाया कि पलकटोरी औद्योगिक क्षेत्र में 28 उद्योगों के भूखंडों की लीज डीड महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र अशोकनगर द्वारा निरस्त कर दी गई है।
उन्होंने यह जानना चाहा कि—

क्या उद्योगों को नोटिस जारी किए गए थे?

निरस्तीकरण के आदेश की प्रति और आवंटन की सूची क्यों सार्वजनिक नहीं की गई?

और सबसे महत्वपूर्ण — खनन माफियाओं द्वारा उसी औद्योगिक भूमि पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र की अखंडता नष्ट हो रही है।


उन्होंने आरोप लगाया कि गहरी खाइयों के रूप में क्षेत्र की भूमि क्षतिग्रस्त हो गई है, और खनन माफिया के अपराध की सज़ा अब पट्टाधारियों को दी जा रही है, जबकि शासन को माफिया से हानि की भरपाई करनी चाहिए।
रघुवंशी ने सरकार से ड्रोन सर्वे रिपोर्ट, कलेक्टर की जांच रिपोर्ट और भू-संरचना मूल्यांकन प्रस्तुत करने की मांग की है।


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 सड़क निर्माण में पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन

दूसरे प्रश्न में विधायक ने आरोप लगाया कि एमपीआरडीसी विभाग के तहत पारसोल से राजघाट तक सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार एजेंसी —
M/S TRG Industries Pvt. Ltd. और M/S Shri Riddhi–Siddhi Buildwell Ltd. (JV) —
ने पर्यावरण विभाग की अनुमति के बिना सैकड़ों पेड़ काट दिए हैं।

उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत की, परंतु अधिकारी मौन बने हुए हैं।
रघुवंशी ने पूछा है कि—

कितने वृक्ष बिना अनुमति काटे गए?

क्या सरकार एजेंसी पर जुर्माना लगाएगी?

और क्या अनुबंध में पेड़-पौधे पुनः लगाने का कोई प्रावधान है?



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⚖️ जवाबदेही की मांग

दोनों ही मामलों में विधायक रघुवंशी ने राज्य सरकार से मांग की है कि पर्यावरण और उद्योग दोनों क्षेत्रों में जवाबदेही तय की जाए।
उन्होंने कहा कि “एक ओर सरकार निवेश और हरित विकास की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर न उद्योग सुरक्षित हैं, न पर्यावरण।”

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