आरोपियों ने पीएम किसान निधि और पेंशन योजनाओं से डेटा चुराकर 30 करोड़ की ठगी की जिसका पुलिस ने खुलासा कर दिया।यह अभियान 70 पुलिसकर्मियों की 70 घंटे की मेहनत से राजस्थान और मध्यप्रदेश में छापों के बाद सफल हुआ। गिरोह के सदस्यों में मजदूर, गन्ने की चरखी लगाने वाले और तीसरी-पांचवीं पास लोग शामिल थे, जो तीन साल में फर्श से अर्श तक पहुंच गए। मास्टरमाइंड रामावतार सैनी (दौसा का निवासी) तीसरी पास था, जो पहले गन्ने की चरखी लगाता था, लेकिन अब 1.5 करोड़ रुपये के मकान, दो लग्जरी कारें और कई भूखंडों का मालिक है। इसी तरह, मनोहरथाना के राजू तंवर ने 1 करोड़ का मकान और 1.5 करोड़ की जमीन खरीदी, जबकि पहाड़पुरा के बिहारी रैदास ने मजदूरी से लग्जरी गाड़ियां और संपत्ति अर्जित की। ये लोग गरीब ग्रामीणों के आधार और बैंक खातों का इस्तेमाल कर फर्जी लाभार्थी बनाते थेएसपी अमित कुमार ने इसे सरकारी धन की चोरी रोकने का ऐतिहासिक कदम बताया। गिरोह 50-70% राशि अपने पास रखता था। 8 सितंबर को मिली शिकायत के बाद साइबर थाने ने आशिक अली के मोबाइल से संदिग्ध ट्रांजेक्शन पकड़े। रामावतार पोर्टलों का गहरा ज्ञान रखता था और एजेंटों के जरिए राशि वसूलता था। विशेष SIT और SBI के चार सदस्यीय दल धन-श्रृंखला का विश्लेषण कर रहे हैं। जागरूक नागरिक की सूचना को पुलिस ने सराहा। ऑपरेशन शटरडाउन ने साइबर कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग की, जिसमें जियो टैगिंग और साइबर एक्सपर्ट्स शामिल थे।
राजस्थान में पुलिस ने ऑपरेशन शटरडाउन में रामावतार सैनी सहित 30 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। इस घोटाले से तीसरी-पांचवीं पास मजदूर तीन साल में करोड़पति बन गए।
byZee Next 24
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